तेरी नफरत ने ये क्या सिला दिया मुझे, ज़हर गम-ए-जुदाई का पिला दिया मुझे !

तेरी नफरत ने ये क्या सिला दिया मुझे,
ज़हर गम-ए-जुदाई का पिला दिया मुझे !

बहुत रोया बहुत तड़पा तुम्हें पाने को,
तुमने एक कतरा भी प्यार नहीं दिया मुझे !

मैं इतना टूटा के बिखर गया राहों में,
मगर तुमने बाँहों में नहीं आने दिया मुझे !

मुझे दोष ना देना ना कहना कल मुझे कुछ,
गर किसी और ने बाँहों में सुला लिया मुझे !

माना तू नहीं बेवफा पर तुम्हें प्यार भी नहीं है,
जिसे प्यार था उसने सीने से लगा लिया मुझे !

एक तुम हो के मेरे छूने से भी घिन आती है,
एक वो है उसने काजल की तरह सजा लिया मुझे !

फिर प्यार हो रहा है थोड़ा खुश कुछ उदास हूँ मैं,
दर्द ये है कि कितना जल्दी उसने भुला दिया मुझे !!

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