उसी को भूलना है और उसी को याद रखना है - कुमार विश्वास

“ग़ज़ल का हुस्न उसमें अनकही फ़रियाद रखना है ,

हमें बरबाद होकर क़ाफ़िया आबाद रखना है ,

मुहब्बत और शौहरत में बडा बेदर्द रिश्ता है ,

उसी को भूलना है और उसी को याद रखना है..!”

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